हरियाणा में एक फ़ौजी बदल रहा मिनी क्यूबा भिवानी के युवाओं की किस्मत? जानिए कैसे

भिवानी. हरियाणा में मुक्केबाज़ों की बदौलत मिनी क्यूबा बना भिवानी अब शूटरों का शहर बनने जा रहा है. क्योंकि भिवानी के बच्चे अब मुक्केबाज़ी के साथ निशानेबाज़ी में भी क़िस्मत आज़माने लगे हैं. ये संभव हुआ है एक रिटायर्ड फौजी की बदौलत, जो खुद फ़ौज में एक अच्छा निशानेबाज़ रहा.

बॉक्सरों की बदौलत भिवानी अब तक देश दुनिया में मिनी क्यूबा के नाम से जाना जाता है. लेकिन एक अब ये भिवानी शहर शूटरों के शहर से भी जाना जाएगा. इसके पीछे प्रदीप बेनिवाल नामक एक फ़ौजी की कहानी व मेहनत है. जो खुद फ़ौज में रहते अच्छा शूटर था और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मेडल लाकर फ़ौज की झोली में डाल चुका है. अब ये फौजी रिटायर्ड होने के बाद लक्ष्य शूटिंग एकेडमी चला रहा है, जहां महज तीन साल में बच्चे कई मेडल ला चुके हैं. दो फ़ौज में जा चुके हैं और तीन बच्चों का अभी 15-15 लाख रुपये की छात्रवृति पर मध्य प्रदेश के जाने माने डेली कॉलेज ऑफ इंदौर में चयन हुआ है.

कोच प्रदीप ने बताया कि वो फ़ौज में जब राइफ़ल चलाने लगे तो इनका निशाना बहुत अच्छा लगता था. फिर फ़ौज ने सहयोग किया और फ़ौज में निशानेबाज़ बनकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई मेडल जीत कर लाया. जब वो रिटायर्ड हुए तो उसने भिवानी के बच्चों का शूटिंग में भविष्य बनाने के लिए लक्ष्य शूटिंग एकेडमी खोली. उन्होंने बताया कि पाँच साल पहले शुरू हुआ एकेडमी के दो साल कोरोना में चले गए. बचे तीन सालों की ट्रेनिंग में कई मेडल आए. दो बच्चों का चयन फ़ौज और अब तीन बच्चों का चयन 15-15 लाख रुपये की छात्रवृति पर डेली कॉलेज ऑफ इंदौर स्कूल में हुआ है. उन्होंने कहा कि 11-12 साल की उम्र में शूटिंग शुरू करने पर बहुत भविष्य है

छात्रवृत्ति पर एडमिशन होने पर अभिभावक बेहद खुश

अपने बच्चों का 15-15 लाख रुपये की छात्रवृत्ति पर एडमिशन होने पर अभिभावक बेहद खुश हैं और गर्व महसबकर रहे हैं. अभिभावक एडवोकेट रामनारायण पंघाल ने बताया कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके बेटा व बेटी दोनों का एक साथ शूटिंग के आधार पर देश के इतने बड़े स्कूल में एडमिशन होगा. उन्होंने कहा कि दो साल के ट्रेनिंग के बाद शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी रैंकिंग इसके लिए माध्यम बना है. अब ये बच्चे लाखों रुपये की छात्रवृत्ति पर इंदौर में पढ़ाई के साथ 10, 25 व 50 मीटर की शूटिंग की ट्रेनिंग फ़्री में करेंगे. यानी कह सकते हैं भिवानी के बच्चे अब मुक्केबाज़ी के बाद आने वाले समय में निशानेबाज़ी में भी देश का गौरव बढ़ाएँगे.

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