नई दिल्ली: ड्रोन (Drone) उड़ाकर आप लाखों रुपये कमा सकते हैं। बेशक सोचने में यह कुछ अटपटा सा लग रहा हो, लेकिन आने वाले वक्त में ड्रोन भी सिर्फ ट्रेंड पायलट ही उड़ाएंगे। यह ड्रोन पायलट (Drone Pilot) कहलाएंगे। डॉयरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (DGCA) ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग के लिए योजना पर काम कर रही है। जल्द ही कई फील्ड में ड्रोन उड़ाने के लिए ट्रेंड पायलट की जरूरत होगी।
ट्रेनिंग लेने वाले पायलट महंगे और बड़े ड्रोन उड़ाएंगे। अब तो रेलवे (Railway) ने भी ड्रोन का इस्तेमाल शुरु कर दिया है। ऑयल कंपनियों (Oil company) ने अपनी पाइप लाइन की निगरानी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल शुरु कर दिया है। कुछ फील्ड में पहले से ही ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। यह जानकारी सिविल एविएशन (Civil Aviation) मिनिस्ट्री ने दी है।
ड्रोन पायलट के लिए यह है डीजीसीए की योजना
हवाई क्षेत्र और उसके रिस्क को देखते हुए डीजीसीए ड्रोन पायलट के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसके लिए एक प्लान बनाया गया है। प्लान के तहत ट्रेनिंग देकर ड्रोन पायलट तैयार किए जाएंगे। ड्रोन पायलट तैयार करने के लिए यह ट्रेनिंग फ्लाइंग एकेडमी और ट्रेंड कॉमर्शियल पायलट देंगे। हालांकि डीजीसीए ने अभी यह साफ नहीं किया है कि आने वाले वक्त में सिर्फ ट्रेंड ड्रोन पायलट ही ड्रोन को उड़ा सकेंगे।
ड्रोन पायलट को ऐसे मिलेगा लाखों कमाने का मौका
डॉक्यूमेंट्री हो या फिर कॉमर्शियल वीडियोग्राफी, दोनों ही काम में ड्रोन का इस्तेमाल वक्त के साथ बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नहीं रेलवे ने भी अपने संस्थाना की सुरक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है। दक्षिण-पश्चिम रेलवे ने सवारी डिब्बे के कारखाने की सुरक्षा और निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल शुरु कर दिया है।
32 लाख रुपये की कीमत से 9 ड्रोन खरीदे गए हैं। अब ड्रोन काफी बड़े और महंगे भी आने लगे हैं। इसलिए जैसे खेतों में पेस्टीसाइड का छिड़काव करने वाली कंपनियां, सिक्योरिटी के फील्ड में लगी एजेंसियों और रियल स्टेट के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में भी ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है।
यह होगा ड्रोन पायलट के लिए बड़ा फील्ड
नेशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इडंस्ट्री के अध्यक्ष रहे राजीव गुप्ता बताते हैं, चर्चा है कि जल्द ही जरूरी सामान की होम डिलेवरी भी ड्रोन से होने लगेगी। इस तरह के बाज़ार को देखते हुए ही बड़े-बड़े ड्रोन आना शुरु हो गए हैं। यह ड्रोन खासे महंगे हैं। इनकी कीमत को देखते हुए कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहेगा कि इसे कोई भी उड़ा ले। इसके लिए पढ़े-लिखे और ट्रेंड पायलट की ही जरूरत पड़ेगी। जीपीएस मैप को समझना और सामान के साथ ड्रोन की लैंडिंग कराने जैसा काम एक ट्रेंड इंसान ही कर सकता है। इसलिए इस मायने में डीजीसीए एक बेहतरीन काम करने जा रही है।
ड्रोन के लिए डीजीसीए ने तय किए यह नियम भी
ड्रोन उड़ाने के लिए इसका रजिस्ट्रेशन, ऑपरेटर परमिट और उड़ाने से पहले क्लियरेंस लेना जरूरी है। इसके लिए डीजीसीए की वेबसाइट पर डिजिटल स्काय नाम से प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है।
डीजीसीए से इम्पोर्ट क्लीयरेंस के अलावा यूआईएन (यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर) और यूएओपी (अनमैन्ड एयरक्राफ्ट ऑपरेटर परमिट) जारी होगा, वही रिन्यूअल भी करेगा।
यूआईएन के लिए 1 हजार और यूएओपी के लिए 25 हजार रुपए फीस लगेगी। हालांकि यूएओपी 5 साल तक वैलिड होगा और बाद में रिन्यूअल के लिए 10 हजार रुपए की फीस देनी होगी।
प्रतिबंधित क्षेत्र में ड्रोन की अनुमति रक्षा मंत्रालय देगा। क्लीयरेंस गृह मंत्रालय से मिलेगा। ड्रोन उड़ाने के नियमों का उल्लंघन करने पर आईपीसी की धारा 287, 336, 337, 338 के तहत जुर्माने और सजा का प्रावधान है। डीजीसीए यूआईएन और यूएओपी निलंबित या रद्द भी कर सकता है।