15 दिन के टूरिस्ट वीजा ने पंजाब के एक व्यक्ति की जिंदगी में उथल-पुथल ला दिया। 2018 में फिलीपींस की राजधानी मनीला घूमने गए बलदेव सिंह ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके साथ ऐसा होगा। केवल नाम की वजह से किसी दूसरे के अपराध की सजा कपूरथला के बलदेव सिंह को पांच साल तक भुगतनी पड़ी। खुशी-खुशी बलदेव मनीला पहुंचे और 15 दिन खूब घूमे भी। एयरपोर्ट पर भारत आने के लिए प्लेन में भी बैठ चुके थे। मगर अचानक मनीला की इमीग्रेशन और पुलिस ने उन्हें जहाज से उतार दिया। दरअसल, वहां किसी अन्य बलदेव ने दो अपराधों को अंजाम दिया था। यही वजह है कि पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया।
यहीं से बलदेव सिंह की जिंदगी में उथल-पुथल मचनी शुरू हो गई। मनीला की स्थानीय भाषा का ज्ञान न होने के कारण दूसरी सबसे बड़ी गलती बलदेव सिंह से यह हुई कि अदालत में सुनवाई के समय अपना नाम सुनते ही उन्होंने हां में सिर हिलाना दिया। इसके बाद उन्हें पांच साल जेल में काटने पड़े।
बलदेव की मानसिक हालत भी बिगड़ी
इसके बाद बलदेव सिंह की मानसिक स्थिति भी बिगड़ने लगी। इसका असर यह हुआ कि वह खुद की बेगुनाही भी सही से साबित नहीं कर सके और उन्हें किसी दूसरे के अपराध की सजा भुगतनी पड़ी। इसके बाद परिवार ने पूरा घटनाक्रम पर्यावरणविद् और राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के साथ साझा किया। इसके बाद उन्होंने लगातार मामले को आगे बढ़ाया। बलदेव सिंह पांच साल बाद अपने परिवार के पास वापस आ चुके हैं लेकिन इस घटना ने उनकी मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल असर डाला है।
परिवार ने संत सीचेवाल का किया धन्यवाद
सुल्तानपुर लोधी स्थित निर्मल कुटिया पहुंचे बलदेव सिंह और उनके बेटा-बेटी ने संत सीचेवाल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि उनके निरंतर प्रयासों के कारण ही बलदेव सिंह सकुशल परिवार के बीच हैं। बेटा और बेटी ने कहा कि पिता अपना काम और बढ़ाने, नए तरीकों को जानने व देखने मनीला 15 दिन की खातिर गए थे। संत सीचेवाल ने मनीला में भारतीय दूतावास और भारतीय प्रवासी जगमोहन सिंह का धन्यवाद किया और कहा कि उनके समर्थन से ही बलदेव सिंह घर लौटे हैं। संत सीचेवाल ने बताया कि राज्यसभा सदस्य बनने से पहले भी वह नियमित रूप से मनीला जाते थे और वहां के लोगों और भारतीय दूतावास के अधिकारियों के बीच मेलजोल बढ़ाने की कोशिश करते थे। ये वापसी पहले भी हो सकती थी लेकिन कोरोना के कारण इसमें काफी वक्त लग गया।